बरसात में किसी की याद, का दर्द पूछना है, तो मेरी आंखों से पूछो।
मैँने अपना गम आसमां , को क्या सुना दिया... शहर के लोगों ने बरसात, का मजा ले लिया..l
इन बरसातों से दोस्ती, अच्छी नही , कच्चा तेरा मकान है, कुछ तो ख्याल कर |
बरसात आज आई तो , याद आया वो जमाना, तेरा वो छत पे खड़े रहना, और मेरा सडको पे नहाना |
ये रिमझिम बरसात, ये हसीन मौसम, और ये महकती हवाये लगता है आज मोहब्बत ने , फिर किसी का साथ दिया है |
तुमको बरसात पसंद है… मुझे बरसात में तुम, तुमको मुस्कुराना पसंद है… मुझे मुस्कुराते हुए तुम, तुमको बातें करना पसंद है… मुझे बातें करते हुए तुम, तुमको सब कुछ पसंद है… और मुझे बस तुम |
बारिश की बूंदो से बना हुआ , छोटा सा समुंदर , लहरों से भीगती छोटी सी बस्ती, चलो ढूंढे बरसात में दोस्ती की कुछ यादें, हाथ में लेकर एक कागज़ की कश्ती |
ये बारिश आज मुझसे कुछ कह गयी, आज फिर हमारी बाहों में, उनकी कमी रह गयी, एक पल के लिए उसे छुआ मैंने, और आज फिर उसकी , याद बरसात में पानी की तरह बह गयी |
बिन सावन बरसात नहीं होती, सूरज डूबे बिन रात नहीं होती, अब ऐसी आदत हो गई है की, आपको विश किये बिन किसी, त्यौहार की शुरुवात नहीं होती |
'दीप जले तो रोशन आपका जहान हो, पूरा आपका हर एक अरमान हो। माँ Laxmi जी की कृपा बनी रहे आप पर, इस धनतेरस पर आप बहुत धनवान हों। '
लक्ष्मी देवी का नूर आप पर बरसे, हर कोई आपसे मिलने को तरसे। भगवान आपको दे इतने पैसे, कि आप चिल्लर पाने को तरसें |
धन धान्य भरी है धनतेरस धनतेरस का दिन है बड़ा ही मुबारक माता लक्ष्मी है इस दिन की संचालक। आओ मिल करें पूजन उनका, जो हैं जीवन की उद्धारक।
दिलो में खुशियाँ, घर में सुख का वास हो, हीरे मोती से आपका ताज हो, मिटे दूरियां, सब आपके पास हो, ऐसा धनतेरस आपका इस साल हो।
धनतेरस का ये प्यारा त्यौहार जीवन में लाये खुशियां अपार माता लक्ष्मी विराजे आपके द्वार सभी कामना करे आपकी स्वीकार |
आपके घर में धन की बरसात हो, लक्ष्मी का वास हो, संकटों का नाश हो, शान्ति का वास हो |
सोने का रथ, चांदनी की पालकी, बैठकर जिसमें माँ लक्ष्मी आई, देने आपको और आपके पुरे परिवार को, धनतेरस की बधाई |
जीवन में हर ऊचाई प्राप्त करो आप, सदा अपनों के साथ रहो आप, लक्ष्मी माँ अपनी कृपा रखे आप पर, और हमेशा खुशहाल रहो आप |
धन की बरसात हो, खुशियों का आगाज हो, आपको जीवन का हर सुख प्राप्त हो माता लक्ष्मी का आपके घर वास हो |
'''काश आप जिनको चाहते हो उनसे मुलाकात हो जाये, ज़ुबान से न सही आँखों से बात हो जाये, आप का हाथ उनके हाथ में हो, और रिमझिम सी बरसात हो जाये…'''
सात घनघोर पाप: काम के बिना धन; अंतरात्मा के बिना सुख; मानवता के बिना विज्ञान; चरित्र के बिना ज्ञान; सिद्धांत के बिना राजनीति; नैतिकता के बिना व्यापार; त्याग के बिना पूजा.....I